क्यों आता है चक्रवाती तूफान? कैसे पड़ते है इनके नाम?
- चक्रवाती तूफान का खतरा तटवर्ती क्षेत्रों में ज्यादा होता है.
- साल 2004 में चक्रवाती तूफान के नामकरण की यह प्रकिया शुरू की गई है.
पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान अम्फान का खतरा मंडरा रहा है. बताया जा रहा है की इस तूफान की गति से भारी नुकसान हो सकता है. इससे ओडिशा, विशाखापट्टनम और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
कैसे आते है चक्रवाती तूफान?
जिन इलाके में गर्मी ज्यादा होती है. वहां के समुद्र में मौसम की गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यधिक कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती है. हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है. ऊपर की नमी से मिलकर संघनन से बादल बनाती है. इस वजह से बने खाली जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर ऊपर आती है. जब हवा बहुत तेजी से उन क्षेत्रों के चारों तरफ घूमती है. तो घने बादलों और बिजली के साथ मूसलाधार बारिश पैदा करती है. तेज घूमती इन हवा के क्षेत्र का व्यास हजारों किलो मीटर हो सकता है.
किन इलाकों चक्रवाती तूफान का अधिक असर होता है?
भारत के तटवर्ती इलाके में चक्रवाती तूफान के आने की ज्यादा संभावना होती है. ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश ,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक महाराष्ट्र और गोवा जैसे जगह चक्रवाती तूफान से ज्यादा प्रभावित होते हैं.
कैसे रखा जाता है चक्रवाती तूफान के नाम?
विश्व मौसम संगठन और संयुक्त राष्ट्र की प्रशांत एशिया के क्षेत्रों की आर्थिक और सामाजिक आयोग की चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत चक्रवात का नाम रखा जाता है. आठ उत्तरी भारतीय समुद्री देश एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवाती तूफ़ान के 64 (हर देश आठ नाम) नाम तय करते हैं. इन देशों में आते है, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, और थाईलैंड. जब चक्रवात इन आठों देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है. तभी सूची देख कर इन तूफानों के नाम रखे जाते है. इन आठ देशों की ओर से सुझाए गए नामों के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया जाता है. उसी के हिसाब से ही चक्रवाती तूफान के नाम रखे जाते हैं.