व्यास पोथी की गुफा जहां छिपे हैं ”महाभारत” के रहस्य
लॉकडाउन के कारण दूरदर्शन पर रामायणम महाभारत का प्रसारण किया गया. इससे लोगों के भीतर रामायण, महाभारत से जुड़े तथ्यों और जगहों के बारे में जानने की जिज्ञासा भी जाग उठी. इस कड़ी में हम एक ऐसी गुफा के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध महाभारत से बताया जाता है और कहा जाता है कि इससे जुड़ा रहस्य इंसान चाहकर भी नहीं जान सकता हैं. कहते हैं कि महाभारत को आज से करीब 5000 साल पहले महर्षि वेद व्यास के कहने पर भगवान गणेश ने स्वयं लिखा था.

महाभारत से जुड़े कई साक्ष्य आज भी भारत के कई स्थानों में मिलते हैं. इन सब स्थानों में देवभूमि उत्तराखंड का विशेष महत्व है. सनातन धर्म से जुड़ी जितनी कथाएं और स्थान उत्तराखंड में है उतने देश के किसी भी हिस्से में नहीं है. उत्तराखंड के आखिरी हिस्से में बद्रीनाथ से आगे एक गांव है. जिसे माणा गांव के नाम से जाना जाता है. ये गांव भारत और चीन की सीमा पर है. इस गांव में जैसे ही प्रवेश करते है लिखा दिखता है भारत का आखिरी गांव. ये गांव बद्रीनाथ धाम से करीब 3 किलोमीटर दूर है.

आखिरी गांव
कहा जाता है कि यहां पर द्रौपदी के नदी पार करने के लिए भीम द्वारा चट्टान रखकर पूल बनाया गया था. इसी पूल को पार कर (स्वर्गारोहिणी) पांडवों ने स्वर्ग की यात्रा शुरू की थी. इन सब प्रसिद्द स्थानों के अलावा माणा गांव में एक रहस्यमयी स्थान भी है. ये एक छोटी सी गुफा है. कहा जाता है कि ये वही गुफा है जिसमे रहकर महर्षि वेद व्यास ने हजारों वर्ष पहले अद्भुत महाकाव्य महाभारत की रचना की थी. महर्षि वेद व्यास ने ही वेदों और पुराणों का संकलन किया था.

माणा गांव की इस गुफा को वेद व्यास गुफ़ा कहा जाता है, इसी गुफा से कुछ दूर वो स्थान भी है जहां बैठकर भगवान गणेश ने महाभारत लिखी थी. वेद व्यास गुफा के बारे में एक रहस्यमयी धारणा भी है. ये मान्यता इस गुफा की अनोखी छत की वजह से है. यदि आप इस गुफा की छत को देखेंगे तो लगता है कि जैसे बहुत से पन्नों को एक तह में जमाकर रखा है. कहा जाता है कि ये महाभारत की कहानी का वो हिस्सा है जो कोई भी नहीं जानता. महर्षि वेद व्यास ने ये भाग गणेश से लिखवाया तो ज़रूर लेकिन उसे ग्रन्थ में सम्मिलित नहीं किया. महाभारत के इस भाग में ऐसी कौनसी बात या अध्याय था जिसे महर्षि ने जानबूझ कर ग्रन्थ में स्थान नहीं दिया और उन पन्नों को पत्थर में बदल दिया.

मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश से महाभारत के वो पन्ने लिखवाए तो थे, लेकिन उसे उस महाकाव्य में शामिल नहीं किया और उन्होंने उन पन्नों को अपनी शक्ति से पत्थर में बदल दिया. आज दुनिया पत्थर के इन रहस्यमय पन्नों को ‘व्यास पोथी’ के नाम से जानती है. वेद व्यास गुफा को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि इस गुफा की छत पर कोई विशालकाय पुस्तक रखी है. इस पुस्तक स्वरुप सरंचना को व्यास पोथी कहा जाता है.