ओपन बुक परीक्षा के समर्थन में नहीं छात्र, एबीवीपी ने किया सर्वे
- शिक्षा संबंधी प्रश्नों पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता
- देशभर सामान्य प्रोन्नति के निर्णय का विरोध हो रहा है
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के वजह से देशभर लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे हालातों में शिक्षा के स्तर पर भी असर हुआ है. लॉकडाउन के बाद से छात्रों की पढ़ाई काफी हद तक प्रभावित हुई है.
छात्रों की शिक्षा के संबंध में सोचते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 11-12 मई को देश के 8.68 लाख विद्यार्थियों से संपर्क साधा. इसमें 87,868 कार्यकर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से कॉल के जरिए छात्रों से संपर्क किया.
विद्यार्थियों से संवाद के आधार पर शिक्षा संबधी परेशानियों को सामने लाने की कोशिश की गई है. छात्रों की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रयास किया है. एबीवीपी ने मास प्रमोशन की जगह नए शिक्षा पद्धतियों को अपनाने की मांग की है. कैरी ओवर, ओपन बुक परीक्षा, रिपोर्ट तैयार करना, विद्यार्थी मूल्यांकन सहित विभिन्न परीक्षा पद्धतियों को अपनाने का सुझाव दिया है.
एबीवीपी का ब्यान
एबीवीपी ने कहा कि हमने अनेक विद्यार्थियों से बात की है. कोविद-19 महामारी के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विषयों पर अपनी चिन्ता, मन में स्थित शंका और समाधान के लिए जाने वाले सुझावों से विद्यार्थियों ने हमें अवगत कराया है. विश्वविद्यालय परीक्षा सम्बंधी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है लेकिन एबीवीपी के अनुसार, कई राज्य सरकारें विश्वविद्यालय की उद्योगिता का उल्लंघन करते हुए स्वयं निर्णय ले रही हैं.
एबीवीपी ने भी दिए सुझाव
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, “365 दिन सक्रिय रहने की कार्यशैली के अनुरूप सम्पर्क अभियान के माध्यम से एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने बड़े स्तर पर छात्रों की इच्छा जानने का प्रयास किया है. हम छात्रों से मिले सुझावों के आधार पर विभिन्न स्तर पर प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे”.
एबीवीपी के संपर्क अभियान के बीच छात्रों ने परीक्षा संबंधी विषयों को गंभीर बताया है. इंटरनेट की समस्या और विश्वविद्यालयों के पास ऑनलाइन परीक्षा करवाने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं है. इसके कारण छात्रों ने एक सुर में कैरी ओवर और इन – हाउस जैसे विकल्प को परीक्षा के रूप में अपनाने की मांग की है. एबीवीपी का स्पष्ट कहना है कि ऐसा कोई भी विकल्प विश्वविद्यालय को नहीं चुनना चाहिए, जिससे लंबे समय में एक भी छात्र का नुकसान हो.