मानव संसाधन मंत्रालय से छात्र मांगेंगे मदद, एग्जाम ऑफलाइन कराने की मांग
नई दिल्ली. दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के छात्रों ने यूनिवर्सिटी के ऑनलाइन एग्जाम कराने के फैसले का विरोध किया है. एसओएल के छात्रों का समर्थन कर रहा है क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस). संगठन ने ऐलान किया है कि डीयू के इस फैसले के खिलाफ अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का रूख किया जाएगा.
डीयू प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ छात्र और शिक्षक सभी मिलकर विरोध कर रहे हैं. विरोध के बाद भी प्रशासन अपने फैसले को छात्रों के लिए लागू करने पर लगा हुआ है. इस फैसले को लेकर छात्रों का कहना है कि इस का असर वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले लाखों एसओएल छात्रों पर पड़ेगा जिनके पास ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए मूलभूत चीज़ें जैसे कंप्यूटर व स्मार्टफोन, स्थिर व तेज़ इंटरनेट, और अच्छे और पूरे स्टडी मटेरियल की भारी कमी है.
एसओएल छात्र ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं, और इस अभियान के तहत 28 मई को एक-दिवसीय ‘सत्याग्रह’ और भूख हड़ताल का भी आयोजन किया था. ज्ञात हो कि ऑनलाइन परीक्षा से जहां शिक्षकों और रेगुलर छात्रों पर भारी दबाव है, वहाँ यह फैसला लाखों एसओएल छात्रों के लिए त्रासदी से कम नहीं होगा. एसओएल छात्र ज़्यादातर वंचित समुदायों और हाशिये के तबकों से आते हैं, और डीयू के ऑनलाइन परीक्षा के फैसले से उनका भविष्य खतरे में है. केवाईएस द्वारा कराये गए जनमत-संग्रह में 84.4% ने ऑनलाइन परीक्षा को पूरी तरह से रद्द कर दिया है. महत्त्वपूर्ण तौर पर, 70% से ज्यादा छात्रों ने यह कहा है कि उनके पास सही से काम करने वाला कंप्यूटर, स्मार्टफोन भी नहीं है, जो कि ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए आवश्यक है. साथ ही, जनमत-संग्रह में एसओएल के ज़्यादातर छात्रों ने कहा है कि उनके घरों में पढ़ने का माहौल नहीं है, और इस स्थिति में अगर ऑनलाइन परीक्षा होती है तो ज़्यादातर छात्र फेल होंगे.
एसओएल छात्र मांग करते हैं कि रेगुलर और कॉरेस्पोंडेंस छात्रों के व्यापक हित को देखते हुए डीयू द्वारा ऑनलाइन/ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने के फैसले को वापस लिया जाना चाहिए. इसके अलावा, शिक्षकों और छात्रों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद परीक्षाओं के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने से पहले, सेमेस्टर और अकादमिक सत्र को बढ़ाया जाना चाहिए जैसा पहले भी आपदा के समय देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में होता रहा है, और कक्षा शिक्षण एक निश्चित अवधि के लिए आयोजित किया जाना चाहिए. साथ ही, एसओएल और रेगुलर छात्रों की परीक्षा पद्धति में समानता सुनिश्चित करनी चाहिए, क्योंकि अगर ऐसे विकल्प लागू किए जाएँ जो सिर्फ रेगुलर मोड छात्रों के लिए ही ठीक हैं, तो यह एसओएल के लाखों छात्रों के लिए त्रासदी होगा. केवाईएस आने वाले दिनों में डीयू के इस भेदभावपूर्ण फैसले के खिलाफ अपना आंदोलन तेज़ करने का ऐलान करता है.
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