जानें क्या है ल्यूकिमीया जिससे गई एक्टर ऋषि कपूर की जान
बॉलिवुड के चहेते सितारों में शुमार एक्टर ऋषि कपूर ने गुरुवार की सुबह इस दुनिया से सभी रिश्ते तोड़ दिए. वो अपने परिवार और करोड़ों चाहने वालों को अपनी यादों के सहारे छोड़ गए. आज मुंबई के चांदीवाड़ा शमशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.
ऋषि कपूर को ल्यूकेमिया था जो एक तरह का कैंसर है. इस बीमारी का इलाज कराने के लिए वो 2018 में न्यू यॉर्क भी गए थे. दो सालों से उनका इलाज जारी था. इसी बीच 2019 में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने प्रशंसको को बताया था कि वो ठीक हो रहे हैं और कुछ ही दिन में घर लौट आएंगे.
दुखद है कि दो सालों तक चली लंबी जद्दोजहद के बाद भी इस बीमारी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. हमेशा हंसने और जिंदादिल रहने वाले ऋषि कपूर इर बीमारी से हार गए.
क्या है ल्यूकेमिया
ऋषि कपूर ल्यूकेमिया से पीड़ित थे. इस बीमारी को एक तरह का ब्लड कैंसर भी कहा जाता है. ये शरीर में व्हाइट ब्लड सेल की बढ़ती हुई संख्या के कारण होता है. इस बीमारी में व्हाइट ब्लड सेल रेड ब्लड सेल पर हावी हो जाती है. ये व्हाइट ब्लड सेल जब अधिक मात्रा में शरीर में हो जाते हैं तो शरीर में कई तरह के नुकसान हो जाते हैं.
कई तरह की समस्याएं
इस बीमारी में कई तरह की समस्याएं हो जाती है. जब बीमारी की शुरूआत होती है तो इसकी जानकारी नहीं मिलती. इस बीमारी में कमजोरी होना, थकान महसूस होना, ब्लीडिंग होना, बुखार आना, बार बार इन्फेक्शन होना, हड्डियों में दर्द होना, वजन कम होना, सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना, सिर दर्द, जैसे कई लक्षण होते हैं. मरीज को ऐसी कई शिकायतें होती है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ल्यूकेमिया को रोका नहीं जा सकता है मगर कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो इसके खतरे को बढ़ा देती हैं. अगर पीड़ित व्यक्ति स्मोकिंग करता है या कुछ केमिकल्स के संपर्क में आता है या किसी किसी खास तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर होना भी बीमारी के खतरे को बढ़ा सकता है.
इस बीमारी में शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स ज्यादा बनने लगते हैं. ज्यादा संख्या होने के कारण ये शरीर के बाकी अंगों के काम करने के तरीके पर भी असर डालने लगते हैं. वहीं एक समय ऐसा वक्त आता है कि शरीर में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स बाकी नहीं रह जाते हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं जब शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या ज्यादा होती है कि शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने की क्षमता भी धीरे धीरे कम होने लगती है. ऐसे में व्यक्ति जल्दी जल्दी बीमार भी पड़ने लगता है.