कोविड वॉरियर को फटे हाल रख रही पंजाब सरकार, फुटा गुस्सा
नई दिल्ली. एक तरफ कोरोना वॉरियर्स अपनी जान की बाजी लगाकर दिन रात कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पतालों में कोविड ड्यूटी कर रहे हैं. फिर भी कभी मरीज के परिजन दुर्व्यवहार करते हैं तो कभी खुद सरकार. एक तरफ सरकार और प्रशासन कोरोना वॉरियर्स को सुख सुविधाएं देने के पूरे दावे करती है. तो वहीं दूसरी तरफ कई राज्यों में सरकार को इनके स्वास्थ्य व सुविधाओं का रत्ती भर भी ख्याल नहीं है.
हालिया मामला पंजाब के पटियाला और अमृतसर से सामने आया है. दरअसल एम्स बठिंडा के नर्सिंग स्टाफ को पटियाला और अमृतसर में ड्यूटी के लिए भेजा गया. 50 नर्सिंग स्टाफ की टीम जब पटियाला पहुंची तो यहां उनके रुकने की व्यवस्था देखकर हर कोई हैरान रह गया.
ऑनड्यूटी नर्सिंग स्टाफ का सफाई कर्मचारियों ने किया ये हाल, देखें वीडियो
एक तरफ सरकार कोरोना वॉरियर्स के रुकने के लिए होटल का इंतजाम कर रही है तो वहीं पंजाब सरकार में कोरोना वॉरियर्स को रुकने के लिए खंडहर मुहैया कराया गया. ट्वीटर पर ट्वीट की गई तस्वीरों में साफ पता चलता है कि कोरोना वॉरियर्स के स्वास्थ्य और इनके रहने की सरकार को किस हद तक चिंता है. सरकार कोरोना वॉरियर्स को आम इंसान तक नहीं समझ रही.
#Bathinda #AIIMS से 100 नर्सिंग कर्मी #अमृतसर और #पटियाला जब पहुचे तो उन्हें ठहरने के नाम पर खंडर दे दिया गया।
पटियाला में 50 कर्मी धरने पर है। @PunjabGovtIndia @capt_amarinder
कृपा कर कोरोना योद्धाओं को सम्मान दे, उन्हें जिंदा मिट्टी में न मिलाये@ANI @drharshvardhan pic.twitter.com/rNxEAALcZ9— Kanishk Yadav (@KanishkAIIMS) May 18, 2021
एक्सट्रा घंटे ड्यूटी कर रहा नर्सिंग स्टाफ
पटियाला और अमृतसर में जिस तरह की व्यवस्था कोरोना वॉरियर्स के रुकने की की गई है वो देखकर आम इंसान को भी शर्म आ जाए. मगर राज्य सरकार है कि आंखें मूंदे बैठी है. वहीं सरकार द्वारा ऐसी निम्न स्तर की व्यवस्थाएं देखकर नर्सिंग स्टाफ में गुस्से का माहौल है. बठिंडा एम्स के कर्मी अब धरने पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को हमारी कोई फिक्र नहीं है. अगर ऐसे हालातों में गंदी जगह पर हम रहेंगे तो वैसे ही बीमार पड़ जाएंगे.
डॉक्टरों की मांग पर ध्यान दे सरकार, देखें वीडियो
नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि ये जगह रहने लायक नहीं है. यहां सफाई की व्यवस्था तक नहीं है. यहां तक कि जहां रुकने के लिए नर्सिंग स्टाफ को भेजा गया है वहां का टॉयलेट तक टूटा हुआ है. अगर ऐसी निम्न स्तर की सुविधाओं को देना था राज्य सरकार पहले ही साफ कर देती. स्टाफ अपने रहने लायक इंतजाम करता.
एक तरफ सरकार दो गज दूरी, सैनेटाइजेशन समेत अन्य दावे करती है. वहीं दूसरी ओर जिन कोरोना वॉरियर्स का रोजाना सामना कोरोना मरीजों से हो रहा है, उन्हीं को रहने लायक व्यवस्थाएं नहीं दे रही है. सरकार का ऐसा कदम बहुत निंदनीय और दुखदायी है. जब आज के समय में सरकार हमारी परवाह नहीं कर रही तो और कब करेगी.
सुबह नहीं बना नाश्ता
कोरोना वॉरियर्स नर्सिंग स्टाफ के मुताबिक रात को सभी नर्सिंग स्टाफ बाहर धरना देते रहे. मगर किसी ने उनकी सुध नहीं ली. इतना ही नहीं सुबह का हाल ये रहा कि 50 नर्सिंग स्टाफ के लिए नाश्ता तक नहीं बना. मजबूरी में सभी को बिना नाश्ता किए ही ड्यूटी के लिए जाना पड़ा. गौरतलब है कि जब नर्सिंग स्टाफ खुद बिना खाए पीए रहेंगे तो मरीजों का इलाज करने के लिए उनमें भी ताकत कहां से आएगी. कहा भी गया है भूखे भजन न होए गोपाला. यानी भूखे पेट को भजन करना भी मुश्किल है तो नर्सिंग स्टाफ बिना खाए पीए मरीजों की देखभाल कैसे करेंगे, सरकार ने ये भी नहीं सोचा.
प्रशासन ने की नर्सों के व्यवहार की निंदा
इस मामले में प्रशासन की उदासीनता भी सामने आई है. प्रशासन ने उल्टे नर्सों के व्यवहार और उनके सेवा कार्य करने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. डीपीआरओ पटियाला ने ट्वीट किया कि, ”उनमें निस्वार्थता, करुणा, लोगों की सेवा करने की इच्छा, प्रेम और स्नेह जैसी सामग्री का पूरी तरह से अभाव है जो एक अच्छे सामाजिक इंसान से अपेक्षित हैं. जिला प्रशासन इस सामाजिक संकट के बीच उनके जुझारू और परस्पर विरोधी रवैये की कड़ी निंदा करता है.”
They totally lack the ingredients like selflessness, compassion,will to serve people,love n affection which are expected of a good social human being. The district administration strongly disapproves their belligerent and conflicting approach in the midst of this social crisis. pic.twitter.com/vkTA8eq24o
— Dpro Patiala (@DproPatiala) May 19, 2021
इस मामले पर जब राजेंद्र मेडिकल कॉलेज पटियाला के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने न फोन उठाया और खबर लिखे जाने तक मैसेज का भी जवाब नहीं दिया.