पांच सालों से वेतन बढ़ने का इंतजार, डॉक्टर्स हुए हताश
अधिकतर लोग काम वेतन के लिए करते हैं. सभी को ये उम्मीद होती है कि समय के साथ साथ जैसे उनका एक्सपीरियंस बढ़ेगा वैसे ही उनका वेतन भी बढ़ेगा. मगर जब लगातार शिद्दत से काम करने के बाद भी वेतन में बढ़ोतरी नहीं होती है तो व्यक्ति में हताशा घर कर जाती है.
ऐसी ही हताशा इन दिनों बिहार के कोरोना वॉरियर्स में भी है. ये बीते तीन सालों से स्टाइपेंड बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. बिहार में तीन सालों से डॉक्टरों का स्टाइपेंड नहीं बढ़ा है. सरकार से कई बार आग्रह करने के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. सरकार के ऐसे व्यवहार के कारण डॉक्टरों में भी हताशा का माहौल बना हुआ है.

स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
इस संबंध में बिहार यूनाइटेड रेजिडेंट एसोसिएशन ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय को भी पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने मांग की है कि बिहार में डॉक्टरों को 50-60 हजार रुपये का स्टाइपेंड मिलता है जबकि अन्य राज्यों में ये स्टाइपेंड 90 हजार से उपर है. ऐसे में सरकार राज्य के डॉक्टरों के साथ भेदभाव का व्यवहार कर रही है.
तीन साल में बढ़ना था
इस संबंध में बिहार यूनाइटेड रेजिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर विनय कुमार ने बताया कि सरकार के आदेश के मुताबिक हर तीसरे साल में डॉक्टरों का स्टाइपेंड बढ़ना था. मगर बिहार में डॉक्टर बीते 5 सालों से स्टाइपेंड बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं.
डॉक्टर जिम्मेदारी निभाने में नहीं पीछे
डॉक्टर कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस का संकट इस समय लगातार गहराता जा रहा है. मामले रोजाना बढ़ रहे है. इस समय डॉक्टर सबसे आगे की पंक्ति में खड़े हैं और अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. मगर सरकार डॉक्टरों के वेतन बढ़ोतरी पर ध्यान नहीं दे रही. ये मांग आज की नहीं बल्कि बीते 5 सालों से लंबित है.
आपको बता दें कि बिहार में इस समय अलग अलग कॉलेजों में कुल 3000 डॉक्टर हैं. ये सभी जूनियर रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट पदों पर काम कर रहे हैं. सरकार अगर डॉक्टरों की मांगो पर गौर नहीं करेगी तो डॉक्टरों का मनोबल गिरता जाएगा. कोरोना संकट से देश को बाहर निकालने में डॉक्टर बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. सरकार को भी डॉक्टरों की मांग पर गौर कर इसे जल्द ही पूरा करना चाहिए.
पीपीई किट का इंतजार
कुमार ने बताया कि इस समय डॉक्टरों को ओपीडी में पीपीई किट्स नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में डॉक्टरों को संक्रमण होने का खतरा भी बना हुआ है. डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है.