निगम शिक्षकों को नहीं राहत, रविवार को भी 10 घंटे की ड्यूटी
देश में लॉकडाउन क्या हुआ दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों पर आफत ही आ गई. लॉकडाउन में स्कूल तो बंद हो गए, मगर शिक्षकों को लॉकडाउन में कोई राहत नहीं मिली. इस दौरान शिक्षकों के उपर अधिक काम का बोझ पड़ गया. इस समय दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों को सूखा राशन बांटने का काम दिया गया है.
दरअसल कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन होने के बाद कई सेवाएं बंद हो गई. ऐसे में निगम के शिक्षकों को ही सूखा राशन बांटने का काम सौंपा गया. क्योंकि आम लोग घरों से निकलकर दुकानों पर राशन नहीं ले सकते थे. इस दौरान शिक्षकों को स्कूलों में होने वाली ड्यूटी की अपेक्षा न सिर्फ कई घंटे ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ रही है बल्कि इससे उनका शारीरिक और मानसिक शोषण भी हो रहा है.
10 घंटे करना पड़ रहा काम
शिक्षकों का कहना है कि उन्हें रोजाना 10 घंटे यानी सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक अलग अलग इलाकों में राशन वितरण का काम करना पड़ रहा है. शिक्षकों ने मांग की है इस समय उनके काम के घंटों को घटाकर सुबह 9.30 से शाम 5.30 बजे तक किया जाए. दरअसल 10 घंटे लगातार काम करने से शिक्षकों की तबीयत भी बिगड़ने लगी है.
सिर्फ इतना ही नहीं जब से लॉकडाउन लगा है शिक्षक लगातार राशन बांटने का काम कर रहे हैं. यानी बिना किसी छुट्टी के लगातार ड्यूटी ली जा रही है. ऐसे में शिक्षकों पर शारीरिक और मानसिक दबाव भी पड़ रहा है. रविवार को भी शिक्षकों को सूखा राशन बांटने का काम करना पड़ रहा है.
इसके उलट आमतौर पर रविवार को स्कूलों में छुट्टी होती है. साथ ही अन्य अवकाश भी होते हैं और काम करने के लिए समय भी निर्धारित होता है. मगर राशन वितरण कार्य के तहत शिक्षकों को कई तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. 40 दिनों के लॉकडाउन के बाद हालत ये है कि निगम की कई महिला शिक्षक बीमार होते हुए भी मानसिक दबाव में प्रतिदिन कार्य कर रही है.
ऐसे में नगर निगम शिक्षक संघ के महासचिव रामनिवास सोलंकी ने मांग की है कि राशन वितरण का काम रविवार को न किया जाए और शिक्षकों की सेहत का ध्यान रखते हुए उन्हें रविवार की छुट्टी दी जाए. इसी के साथ निगम स्कूलों में एक सहायक की भी मांग की है. दरअसल स्कूलों में राशन बांटने से लेकर राशन तोलने का काम सब शिक्षक को करना पड़ रहा है. राशन तोलने के लिए भी कोई शिक्षक मौजूद नहीं है. राशन तोलने से महिला शिक्षकों को अधिक परेशानी हो रही है.
इस मामले पर संघ के सचिव आशु शर्मा ने बताया की राशन लेने वालों के लिए हस्ताक्षर और अँगूठा छापने के लिए एक ही पेन एक ही सटेम्प पेड़ है से संक्रमित होने हमेशा भय बना रहता है. प्रशासन को इसके लिए उचित प्रबंध करना चाहिए ताकि कोई शिक्षक अनजाने में संक्रमित न हो. इसके अलावा जो पका हुआ भोजन वितरण हो रहा है उसमें सहायक कर्मचारी या मजदुर की व्यवस्था अवश्य हो.
महासचिव रामनिवास सोलंकी ने बताया कि पके हुए भोजन वितरण में आज से एक नया कार्य शरु करने का आदेश हुआ है जिसमें खाना लेने वाले का नाम ,पता ,फ़ोन नम्बर गली आदि का ब्योरा लिखना है. ये शिक्षकों पर अनावश्यक भोझ लादा जा रहा है. नगर निगम शिक्षक संघ दिल्ली इसका पुरज़ोर विरोध करता है.
नगर निगम शिक्षक संघ के संरक्षक महिपाल मावी ने बताया कि दिल्ली नगर निगम स्कूलों में अधिकतर स्कूलों में चार या पांच का स्टाफ है जबकि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 80 के आसपास का स्टाफ है. ऐसे में प्रशासन को दिल्ली सरकार के स्कूलों की ड्यूटी भी निगम के ऐसे स्कूलों में लगानी चाहिए जहां स्टाफ की अधिक कमी है. इससे निगम के शिक्षकों पर पड़ रहा बोझ भी कम होगा.
कोरोना कवर का लाभ मिले
इस समय निगम के जितने भी शिक्षक लॉकडाउन के दौरान कार्य कर रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं वो कोरोना बीमा कवर के अंदर शामिल नहीं है. ऐसे में संघ के सचिव बलवान सिंह में कहा कि निगम शिक्षकों को भी कोरोना बीमा कवर का लाभ मिलना चाहिए. शिक्षक भी कोरोना युद्ध में सबसे आगे एक योद्धा बनकर पूरी तरह से समर्पित होकर कार्य कर रहे है. इस बेहद गंभीर मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. निगम शिक्षकों को बीमा कवर में शामिल कर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए.