वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे : जाने क्यों मनाया जाता है यह दिवस
नई दिल्ली. वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे हर साल 18 मई को मनाया जाता है. एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ये दिन मनाया जाता है. जनता को वैक्सीन या एड्स के टीके के प्रति जागरूक करना और एचआईवी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना इसका मकसद है.
इस दिन को एचआईवी वैक्सीन अवेयरनेस डे भी कहा जाता है. इसे मनाने की शुरुआत पहली बार 18 मई 1997 से की गई. आइए वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे के मौके पर जानते हैं एड्स के बारे में कुछ खास बातें –
क्या है एड्स
- एड्स (AIDS) यानि एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम. ये HIV वायरस से फैलने वाली बीमारी है
- एक्वायर्ड का मतलब होता है कि व्यक्ति वायरस से इंफेक्टेड है
- इम्यूनो का अर्थ होता है कि वायरस एचआईवी व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को एफेक्ट करता है
- डेफिशियेंसी का मतलब होता है कि व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है और ठीक से काम नहीं कर रही है
- सिंड्रोम का अर्थ है कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एड्स से पीड़ित व्यक्ति को अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है
एचआईवी के लक्षण
-बुखार
-पसीना आना
-ठंड लगना
-थकान
-भूख कम लगना
-वजन घटा
-उल्टी आना
-गले में खराश रहना
-दस्त होना
-खांसी होना
-सांस लेने में समस्या
-शरीर पर चकत्ते होना
इस वजह से होता है एड्स
-असुरक्षित यौन संबंध बनाने से
-संक्रमित खून चढ़ने से
-HIV पॉजिटिव महिला से उसके होने वाले बच्चे को
-इस्तेमाल की हुई संक्रमित सुई को दूसरी बार इस्तेमाल करने से
HIV और AIDS में क्या होता है फर्क
एचआईवी मतलब ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस है ये व्यक्ति के इम्यून सिस्टम के T-Cells को प्रभावित करता है. वहीं एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम एक मेडिकल सिंड्रोम है, जो एचआईवी संक्रमण के बाद सिंड्रोम के रूप में सामने आता है. एचआईवी वायरस ही एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है जिससे एड्स होता है.यदि कोई एचआईवी वायसर से संक्रमित है तो यह जरूरी नहीं कि उसे एड्स हुआ हो. हालांकि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. किसी व्यक्ति के एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसे एड्स है. एचआई संक्रमण और एड्स होना दोनों अलग स्टेज हैं. चिकित्सक के अनुसार, एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चलते ही यदि सावधानी बरती जाए और सही इलाज लिया जाए तो काफी हद तक एड्स से बचा जा सकता है.
बचाव
शरीर में एचआईवी वायरस के ज्यादा हावी होने पर इसे कंट्रोल करना काफी मुश्किल हा जोता है. एड्स के उपचार में एंटी रेट्रोवाइरल थेरपी और दवाइयों का उपयोग किया जाता है. इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और इससे होने वाले रोगों को ठीक करना होता है.