जानें क्या है पीएम मोदी का आर्थिक पैकेज और कैसे करेगा काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. ये रकम देश की जीडीपी का 10% है. इस खबर के आते ही सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि 20 लाख करोड़ रुपये 130 करोड़ की आबादी में कैसे बंटेंगे. आर्थिक पैकेज किसी देश की अर्थव्यवस्था को फिर से ठीक करने के लिए लाया जाता है जिसे प्रोत्साहन पैकेज भी कहते हैं. कोरोना वायरस के इस दौर में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी से जूझ रही है. लोगो की नौकरियां जा रही हैं और बहुत लोगों का कारोबार भी बंद है. इसकी वजह से लोगों के खर्चे भी कम हो गए हैं. इसी हालात को दखते हुए मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है.
अर्थव्यवस्था दो चीजों पे चलती है: मांग और पूर्ति. इस वक़्त ये चेन पूरी तरीके से टूट गई है. ऐसी मंदी से उबारने के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाते हैं. सोशल मीडिया में इस खबर को सुनने के बाद ही इस बात की चर्चा होने लगी कि सरकार सबके बैंक अकाउंट में पैसे डालेगी क्या? लेकिन आर्थिक पैकेज लेने का ये मतलब नहीं होता. इस पैकेज को सरकार ऐसे आथिर्क मंदी के समय इस्तेमाल करती है. आर्थिक पैकेज का ये माॅडल कीन्सवादी अथॅशास्त्र पर काम करता है. ये अथॅशास्त्र मंदी से निपटने के लिए खर्च करने सिद्धांत पर काम करता है. इसमें खर्चों को कुछ खास बातों पर केंद्रित किया जाता है.
ये पैकेज कई तरह के होते है. पहले पैकेज में मौद्रिक प्रोत्साहन जिसमें ब्याज दरों में कटोती की जाती है. इसमें लोग बैंक से लोन लेने को प्रोत्साहित होते है. इससे सुस्त पड़े मार्केट में मनी फ्लो बढ़ता है. इसके वजह से एक्सचेंज रेट जिससे विदेशी मुद्रा एक्सचेंज की जाती है, घटता है. दूसरा राजकोषीय प्रोत्साहन होता है जिसमें टैक्स में कटौती की जाती है या फिर सरकार राजकोष से खर्च करती है. इसमें सरकार छोटे उद्योगों को एमएसएमई टैक्स से राहत देती है. टैक्स कम होने से लोगों के पास पैसे ज्यादा आते हैं और मांग तथा सप्लाई चेन में बढ़ोतरी होती है. ये काम रोजगार बढ़ाने के लिए भी होता हैं.
तीसरा क्वांटिटेटिव इजिंग होता है. इसमें देश का केंद्रीय बैंक और भारत के हिसाब से रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंको से कई तरह की वित्तीय सम्पति खरीदता है. मॉल, रेस्टोरेंट इत्यादि. इससे उन संस्थाओ के पास पैसा आता है. ये इकॉनोमिक रिजर्व बढ़ाता है. इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोन देना आसान होता है. इससे भी मनी फ्लो बढ़ता है. जब मौद्रिक और राजकोषीय जैसे कदम पूरे नहीं पड़ते तो सरकार इस तीसरे कदम की ओर बढ़ती है. कोरोना वायरस महामारी के वजह से कई देश ऐसे पैकेज लेकर आ रहे है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत भारत सरकार ने मार्च 2020 में एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया था. रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों को लेकर बहुत से कदम उठाए थे.