दिहाड़ी मजदूर से भी कम पैसे में काम करते हैं डॉक्टर, दयनीय है हालात
अलग अलग अस्पतालों में 10-12 घंटे ड्यूटी करने वाले इंटर्न डॉक्टरों को राजस्थान सरकार से सिर्फ 233 रुपये का स्टाइपेंड मिलता है. मगर संवेदनशील समय में अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे डॉक्टरों के साथ सरकार संवेदनशील नहीं है.
जब कोरोना वायरस के कारण पूरे देशभर में लॉकडाउन हैं, हर तरह की सेवाएं बंद है. इसके बाद भी स्वास्थ्य सेवाएं अब भी जारी है. डॉक्टर, नर्स और पूरी मेडिकल टीम जिन्हें हर तरफ कोरोना वॉरियर्स के नाम से जाना जा रहा है. सब तरह उनकी तारीफें बांधी जा रही है. मगर इंटर्न डॉक्टरों को उनके अधिकार नहीं मिल रहे.
आपको बता दें कि MBBS की पढ़ाई के दौरान एक साल की इंटर्नशिप करनी जरूरी होती है. इस दौरान इंटर्न डॉक्टरों को अलग अलग डिपार्टमेंट में ड्यूटी करनी होती है.
राज्य में कई सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं. यहां सैंकड़ों इंटर्न इंटर्नशिप के दौरान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में अपनी सेवाएं देते हैं. सालों से राजस्थान सरकार ने स्टाइपेंड में बढ़ोतरी नहीं की है.
डॉक्टरों का कहना है कि संकट के इस दौर में इंटर्न डॉक्टर पूरी शिद्दत के साथ काम करने में जुटे हैं. मगर स्टाइपेंड के नाम पर उन्हें एक दिहाड़ी मजदूर से भी कम स्टाइपेंड पर काम करना बेहद दुखद है.

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
इस संबंध में स्टूडेंट वेलफेयर यूनियन ने भी मुख्मंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखा है. इस पत्र में सरकार से इंटर्न डॉक्टरों के स्टाइपंड को बढ़ाने की मांग की गई है.

URDA ने भी इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा है. एसोसिएशन ने मांग की है कि इस गंभीर मुद्दे पर इंटर्न डॉक्टरों की परेशानी की तरफ ध्यान दें और उनका स्टाइपेंड बढ़ाकर उनका उत्साहवर्धन करें.
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