लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक परिवहन को मिलेगा बढ़ावा, जानिए महत्वपूर्ण निर्देश
कोरोना वायरस महामारी के वजह से देश भर में लॉकडाउन चल रहा है. इसके कारण भारत सरकार और नागरिकों को आर्थिक रूप से बहुत नुकसान हुआ है. लॉकडाउन लगाए जाने के बाद भी कोरोना वायरस के एक्टिव केसों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. तीसरे चरण के लॉकडाउन खुलने के बाद, भारत के कई शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन चुनौती बना खड़ा है.
देश भर में लॉकडाउन के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे डॉक्टर्स, नर्स, मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी तथा अन्य जरूरी सेवाओं के लिए बसें चलाई जा रही थी. लेकिन अब लोगों की जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने तीसरे लॉकडाउन शुरू होते ही ग्रीन ज़ोन में कुछ शर्तों के साथ बसों के संचालन की अनुमति प्रदान कर दी है.
आईटीडीपी यानी (इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट एंड डेवलपमेंट पॉलिसी) जो कि एक वैश्विक गैर लाभ एजेंसी है में पिछले कई सालों से काम करने वाले एक्सपर्ट्स ने दुनिया के कई देशों के पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अध्ययन के बाद ऐसी महामारी से लड़ने के लिए कुछ निर्देश तैयार किए हैं. ये निर्देश आईटीडीपी ने बीआरटी स्टैण्डर्ड यानि बस रैपिड ट्रांसपोर्ट के तहत बताये हैं. इसे लागू कराने के लिए कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से बात हो रही हैं.
क्या हैं यह निर्देश
आईटीडीपी के निर्देशों में सबसे पहले आता हैं स्टाफ मैनेजमेंट. इसमें स्टाफ मैनेजमेंट शेड्यूल बनाया जाना चाहिए और सभी स्टाफ को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए. जो कर्मचारी फ़ील्ड में काम नहीं करते हैं, उन्हें घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. सभी कर्मचारियों का टेंपरेचर चेक किया जाता और कोरोना वायरस के लक्षण वाले लोगों को काम पर आने ना दिया जाए. सभी कर्मचारियों को हेल्थ केयर और इंश्योरेंस दिया जाए. ड्राइवर और कंडक्टर को एन – 95 मास्क, ग्लव्स और हैंड सैनिटाइजर दिया जाए और इसके इस्तेमाल के लिए ट्रेंड किया जाना चाहिए.
इन निर्देशों में अगला है बस फ्लीट और टर्मिनल के निर्देश. इसमें बस और कंडक्टर के हाथों को यात्रा से पहले डिसइंफेक्ट किया जाना चाहिए और उन्हें मास्क और ग्लव्स पहनकर आना जाना चाहिए. हर ट्रिप से पहले बस कंडक्टर को ये सुनिश्चत करना होता है कि बस साफ हो और अच्छी तरह से डिसइंफेक्ट हो. हर दो तीन घंटे में टर्मीनल के पब्लिक एरिया को भी डिसइंफेक्ट किया जाए और अन्य एरिया दिन में एक बार डिसइंफेक्ट किया जाए. इसकी जानकारी लोगों को बस पर चढ़ने से पहले दी जाए ताकि यात्री निश्चिंत रहें. एसी बसों में वेंटीलेशन की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि फ्रेश एयर अंदर आ सके.
इसके बाद आता हैं यात्रियों के लिए निर्देश. अखबार, सोशल मीडिया, पोस्टर्स के जरिए यात्रियों को बस शेड्यूल की जानकारी दी जानी चाहिए. बसों के अंदर सब-स्टॉप और टर्मीनल पे सुरक्षा से जुडे़ निर्देश दिए जाने चाहिए. बस टर्मीनल पर भीड़ को रोकने के लिए बस शेड्यूल की जानकारी पहले ही यात्रियों को दी जाए. यात्रियों की समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर, और वहट्सप के जरिए लोगो से जुड़ेने का प्रबंध किया जाना चाहिए.
अगला है टिकट की लेन देन के लिए क्या निर्देश हैं? टिकट के पैसे लेने के लिए ऐसा प्रबंध किया जाए कि बस कंडक्टर और यात्री के बीच कांटेक्ट ना हो. बार – बार टिकट लेने से बचने के लिए यात्रियों के लिए पास उपलब्ध कराया जाए जिसकी वैधता लगभाग एक महीने तक की होनी चाहिए. आसपास का रिटेल स्टोर बस पास, सेल्स काउंटर तथा कस्टमर्स इन्फॉर्मेशन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
निर्देशों की लिस्ट में अगला है यात्रियों की सुविधा के लिए क्या निर्देश हैं? फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे सफाई कर्मचारियों के लिए अलग बस की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए. यात्रियों को मास्क पहनने और समय – समय पर हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने को कहा जाना चाहिए. बस टर्मीनल पर मास्क और हैंड सैनिटाइजर बेचे जाने चाहिए और बस पर चढ़ने की अनुमति भी उन्हीं लोगो को दी जानी चाहिए, जिनके पास मास्क और हैंड सैनिटाइजर हैं. बस में चढ़ते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए या फिर लाइन से बस में चढ़ने को कहा जाना चाहिए. बस में चढ़ने उतरने के लिए अलग – अलग द्वार का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और आवश्यकता से अधिक यात्रियों को भी बस चढ़ने से रोका जाना चाहिए. बस में चढ़ने से पहले यात्रियों का थर्मल स्कैन करना अनिवार्य होना चाहिए.