फूल बरसाने और ताली बजाने से घर नहीं चलता मंत्री जी
बिहार में इन दिनों कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण स्वास्थ्यकर्मियों को लगातार कई घंटों काम करना पड़ रहा है. उसके बाद भी हालात ये हैं कि कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है.
बिहार के दानापुर से मिली जानकारी के मुताबिक इन दिनों कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए मेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई है. मेडिकल स्टाफ में एएनएम और फार्मासिस्ट भी शामिल हैं.
एएनएम और फार्मासिस्ट स्टाफ में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मांग की है कि सभी स्टाफ को समान काम के लिए समान वेतन का भुगतान किया जाए. दरअसल एएनएम और फार्मासिस्ट को मिलने वाला वेतन न्यूनतम से भी काफी कम है. इतने मामूली वेतन मिलने के कारण कर्मचारियों को कई आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.
वेतन बढ़ोतरी का इंतजार
एएनएम प्रीति चौहान (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन लोगों की बहाली 2015 में आईडीएस प्रोग्राम के तहत की गई थी. आयुष चिकित्सकों के नियुक्ति भी उनके साथ की गई. मगर बाद में उनका वेतन दोगुना किया गया जबकि एएनएम अबतक समान वेतन पर काम कर रहे हैं.
कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें भी अन्य की तरह समान वेतन का भुगतान ही किया जाना चाहिए. इस समय भी कर्मचारी कोविड ड्यूटी निष्ठा के साथ पूरी कर रहे हैं. सरकार फिर भी कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी दे रही है. इस वेतन से कर्मचारियों के परिवार का भरण-पोषण भी नहीं हो रहा है.
12 हजार का वेतन
सरकार डॉक्टर को 37-44 हजार रूपये वेतन के दे रही है, जबकि नियुक्ति के समय सभी का वेतन मात्र 20 हजार था. सरकार ने आयुष डॉक्टरों का वेतन बढ़ाया, मगर हमारे साथ सरकार भेदभाव की नीति अपना रही है और मात्र 12 हजार रूपये का भुगतान कर रही है.
जबकि हम पूरा काम कर रहे हैं. सरकार समय समय पर हमें धन्यवाद तो करती है मगर हमारा वेतन बढ़ाने पर ध्यान नहीं देती. हमारा घर तालियों और फूल बरसाने से नहीं चलता.
एएनएम कर्मचारियों ने मांग की है कि हमारा वेतन भी बढ़ाया जाए. एएनएम का वेतन भी सरकार को बढ़ाना चाहिए जिस तरह आयुष डॉक्टरों का वेतन बढ़ा है. मगर एएनएम के तौर पर हमारा काम काफी कठिन होता है.
हमें यात्रियों की स्क्रीनिंग करनी होती है. स्क्रीनिंग में पास हुए यात्री को जिले में भेजा जाता है. कोरोना संकट के समय में ये जोखिम भरा काम है. इसके बाद भी सरकार हमारा वेतन बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं देती है.