ईद 2020: कैसे मनाए ईद लॉकडाउन के दौरान?
- ऐसा पहली बार होगा कि ईद पर लोग गले नहीं मिलेंगे
- शाही इमाम ने घर पर ईद मनाने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए है
नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. देश भर में लगे लॉकडाउन के वजह लोग बाहर नहीं निकल पा रहे है. साथ ही कोई त्योहार भी अच्छे से नहीं माना पा रहे हैं. लोगो के चेहरों पर उदासी है. 25 मई को पूरी दुनिया मे ईद का त्योहार मनाया जाएगा. लेकिन इस साल लोग पहले की तरह गले मिलकर एक दूसरे को त्योहार की मुबारकबाद नहीं दे सकेंगे.
चीफ इमाम ऑफ इंडिया डॉ. इमाम उमेर अहमद इल्यासी ने बताया कि, “कोरोना वायरस बीमारी हमेशा नहीं आती, लेकिन ईद हमेशा आती है. पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से ग्रस्त है. और ईद की खुशी यही है कि हम गले न मिले और हाथ ना मिलाए”.
इस साल ईद कैसे मनाई जाएगी?
जामा मस्जिद के शाही इमाम डॉ. इमाम उमेर अहमद इल्यासी कहा है, जो दिशानिर्देश मेडिकल एक्सपर्ट और डब्ल्यूएचओ के तरफ से आ रही है. हमें उन सभी बातों पर अमल करना होगा. स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए. कई धार्मिक परिषदों / निकायों और सामुदायिक नेताओं ने लोगों से भीड़ से बचने की सलाह दी है. कई मस्जिदों ने सार्वजनिक प्रार्थनाओं को रद्द कर दिया है. और आभासी प्रार्थनाओं का विकल्प चुना है. जिससे लोगों को घर पर रहने के लिए प्रेरित किया जा सके.
वर्चुअल इफ्तार पार्टी का आयोजन करे
कई धार्मिक परिषदों और सामुदायिक नेताओं के बीच बैठक से कुछ बातें निकल कर आई है. इफ्तार पार्टी को लेकर उनका यह सुझाव है. इफ्तार, वह भोजन जिसके साथ मुसलमान अपना उपवास तोड़ते हैं. परिवार के सदस्यों और दोस्तों के लिए अनेक व्यंजनों पकाये जाते है. ईद की शाम को लोग एक दूसरे के यहां जाते हैं और इफ्तार पार्टी करते हैं. हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए. लोगों को सामाजिक यात्राओं से बचना चाहिए. और इसके बजाय आभासी इफ्तार पार्टियों का आयोजन करना चाहिए. वे विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से कनेक्ट हो सकते हैं. अपने मित्रों और परिवार के सदस्यों के रूप में एक ही समय में इफ्तार कर सकते हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार लोगो को गरीब और जरूरतमंद लोगों से मिलने के लिए बाहर जाने के बजाय, ऑनलाइन चैरिटी करनी चाहिए.
क्या होता है ईद के दिन?
सालों से चल रही ईद की प्रथा है. इस दिन सुबह की पहली नमाज़ पढ़ी जाती है. इसे सलात अल- फज्र भी कहा जाता है. इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है. फिर नए कपड़े पहनकर लोग ईद की नमाज पढ़ने के लिये जाते हैं. ईद की नमाज पढ़ने के बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते है. जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बताया, “देश में कोरोना वायरस बढ़ता जा रहा है. इस बीच यह जरूरी है कि ईद के समय मे सावधानी बरती जाए. ईद पर जैसे लोग गले मिलते है. उसमें अब हमें सावधानी बरतना होगा. हालात ऐसे चल रहे हैं कि हमें इस वक्त टेलीफोन से ही मुबारकबाद देनी होगी. जिसमे सबका भला होगा.”