लॉकडाउन 4.0: बार्डर सील होने से लोगों को यातायात में हुई मुश्किल
- कई मजदूर जो दो महीने से अधिक समय तक बंद रहे, अब दिल्ली एनसीआर छोड़ना चाहते है
- ट्रेन टिकट वाले यात्रियों को दिल्ली-नोएडा बार्डर पर रोका नहीं जा सकता
नई दिल्ली. लॉकडाउन 4.0 का पहला सप्ताह रविवार को पूरा हुआ है. पूरे देश में यातायात को बढ़ावा मिला है. दुकानें फिर से खुल गई हैं. ट्रेनें भी चल रही है. 25 मई से उड़ानें भी शुरू हो चुकी है. लेकिन एनसीआर सीमा अभी भी बंद है. संभावनाएं हैं कि वे बंद रहेंगे. क्योंकि नोएडा प्रशासन मामलों की संख्या में अचानक और तेज वृद्धि के डर से सीमा को खोलने के लिए तैयार नहीं है. सीमा को क्यों नहीं खोला जाना चाहिए, यह बताते हुए एक रिपोर्ट तैयार की गई है. रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार को सौंपी जाएगी.
सीमाओं पर फंसें प्रवासी मजदूर
प्रवासी मजदूर, जिन्होंने भारत सरकार के आश्वासनों पर भरोसा किया था. और शहर न छोड़ने का विकल्प चुना. उनके लिए यह निराशाजनक बात है. निजी वाहनों के लिए एनएच -8 के साथ दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर आने वाले यात्रियों लंबे समय तक बार्डर पर इंतजार करना पड़ा रहा है. लोगों का कहना है कि, लॉकडाउन के कारण इन सीमाओं का सख्त होना एनसीआर के कई हिस्सों में आजीविका के पुननिर्माण के लिए एक गंभीर बाधा बन गया है.
कार्यालय जाने में बाधा
दिल्ली के कापसहेरा गांव में श्रमिक, गुड़गांव के उद्योग विहार में कपड़ा कारखानों में काम करने के लिए सीमा पार करने में असमर्थ हैं. जो केवल कुछ किलोमीटर दूर है. “हम नहीं जानते कि हम कब दोबारा काम शुरू कर सकते हैं. हम कापसहेरा में रह रहे हैं. और 10 वर्षों से उद्योग विहार में काम कर रहे हैं. भले ही उद्योग विहार के कारखाने फिर से खुल गए हों. हमें वहां जाने के लिए सीमा पार करने की अनुमति नहीं है. बिना काम के लगभग दो महीने हो गए हैं. मकान मालिक हम पर किराए के लिए दबाव दे रहे है. लेकिन हमारे पास कोई आजीविका नहीं है”. बिहार से आकर रह रहे मजदूर का कहना है. इसके अलावा गुड़गांव में रहने वाले अन्य लोगों को भी कार्यालय जाने में दिक्कत हो रही है. गुड़गांव के कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई है. परंतु कई ने कहा कि वे सीमा सील होने के कारण प्रशासन द्वारा दिए छूट का उपयोग नहीं कर पा रहे है.
Pingback: लॉकडाउन 4.0: बार्डर सील होने से लोगों को यातायात में हुई मुश्किल – TheDepth