आफत! बिहार में डॉक्टर ने दी हड़ताल की चेतावनी
नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण में एक तरफ सरकार का कहना है कि क्वारंटीन होना बहुत महत्वपूर्ण है. वहीं सरकार अपने ही कर्मचारियों को क्वारंटीन होने का समय नहीं दे रही है. इसी मांग को लेकर अब बिहार रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एम्स पटना के डायरेक्टर को पत्र लिखा है.
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इस पत्र में डॉक्टर एसोसिएशन ने साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो एम्स के डॉक्टर 24 मई से संपूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे. हालांकि कोरोना आईसीयू ड्यूटी में काम बंद नहीं किया जाएगा. इसके अलावा बाकी जगह डॉक्टर मरीजों का इलाज नहीं करेंगे.

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इस पत्र में मांग की गई है कि आठ दिन कोरोना ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों को ड्यूटी खत्म होने के बाद आठ दिन तक क्वारंटीन होने की सुविधा दी जाए. कोविड में ड्यूटी करने के दौरान डॉक्टरों पर मानसिक और शारीरिक प्रेशर अधिक हो जाता है. इस दौरान संक्रमण का खतरा भी लगातार बना रहता है. ऐसे में संक्रमण की पहचान करने के लिए जरूरी है कि डॉक्टरों को क्वारंटीन होने की सुविधा मिले.
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इस संबंध में आरडीए अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने बताया कि अस्पतालों में डॉक्टरों पर मरीजों को देखने की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है. डॉक्टर डेढ साल से बिना आराम किए लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं. इससे डॉक्टर शारीरिक और मानसिक रुप से परेशान हो चुके हैं. इसके बाद भी उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अगर समय रहते डॉक्टरों की मांग नहीं मानी गई तो अब डॉक्टर हड़ताल करने को मजबूर होंगे. अगर ऐसा होता है कि इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी जो डॉक्टरों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है. गौरतलब है कि एम्स पटना में लगभग 300 डॉक्टर हैं जो हड़ताल पर जाने को तैयार हैं.
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बेड की हो व्यवस्था
इसी के साथ एसोसिएशन ने रेजिडेंट डॉक्टर और उनके परिवार के सदस्यों के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था किए जाने की मांग भी की है. गौरतलब है कि कोरोना काल में ड्यूटी करने के दौरान आए दिन डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टरों व उनके परिवार के सदस्यों को कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा है.
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कई संक्रमित मामलों में डॉक्टर या उनके परिवार के सदस्यों को भी अस्पताल में बेड नहीं मिलने के मामले सामने आए हैं. ऐसे में डॉक्टरों की मांग है कि उनके और परिवार के लिए अस्पताल में बेड रिजर्व किए जाए. ताकि संक्रमित होने पर इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर न काटने पड़े.
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